भारत के चेन्नई पोर्ट से गोला बारूद से भरा एक जहाज इसराइल जा रहा था.. क्यों जा रहा था..? बस इसलिए कि इसराइल को फलिस्तीन में हमले करने के लिए हथियार कम न पड़े वहां नरसंहार करने में कमी ना रह जाए, निर्दोष लोग कहीं बच ना जाएं। लेकिन स्पेन ने अपने अपने बंदरगाहों पर वो जहाज रुकने नहीं दिया और कहा शांति चाहिए हथियार नहीं। मित्र देश की मदद करना अच्छी बात है करना चाहिए लेकिन क्या वो मदद तब भी जारी रहे जब हमें पता हो की हमारा मित्र अनैतिक कार्य कर रहा है नरसंहार कर रहा है इस नरसंहार में भारत भी भागी होगा क्योंकि हथियार भी दे रहा वहां को लोगों को मारने के लिए। अब सवाल ये है की भारत जैसा देश जो हमेशा "विश्व बंधुत्व" और "वसुधैव कुटुंबकम्" जैसी बातें करता है बुद्ध की भूमि महावीर भूमि वाला देश बताता है ये सिर्फ दिखाने के लिए है क्या? दरअसल भारत कभी शांति प्रिय देश ना था ना है ना रहेगा ये सिर्फ दुनिया को दिखाने को हैं, जहां महाभारत जैसे महायुद्ध हुए हों पानीपत जैसी लड़ाइयां हुईं हों भारत विभाजन जैसी त्रासदी होती रहीं हों भारत पाक युद्ध हुए हों वो देश और वहां के लोग शांति का दें तो इसमें हंसी आना स्वाभाविक है। जिस देश में किसी दलित के घोड़ी चढ़ने पर वहां को लोगों का खून खौल उठता हो उस दूल्हे को मारने के लिए महिलाओं और बच्चे समेत पूरा गांव शहर पट पड़ता हो, दलित का बच्चा घड़े से पानी पी ले तो उसे पीट पीट कर मार दिया जाता हो... वहां वहां के लोग विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुंबकम् की बात करते हैं.. अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता और अपने धर्म पर गर्व करते हों ऐसी ही मानसिकता के लोग सत्ता पर काबिज हैं जो दबे कुचलों को और दबाना चाहते हों जो कमजोरों पर टूट पड़ते हैं जिनकी नस नस में नरसंहार की भावना है वो लोग तो हथियारों से इजराइल की सहायता करेंगे ही।
0 टिप्पणियाँ
Thanks for reach us