ध्यान क्या है कैसे किया जाता है...
दरअसल ध्यान एक ऐसी पद्धति है जो कभी की नहीं जा सकती यह स्वतः होने वाली प्रक्रिया है.. आप ऐसे समझिए जैसे हम सोते हैं और चाह कर भी नींद नहीं लगा सकते वह स्वतः ही लग जाती है और हम सो जाते हैं वैसे ही ध्यान को किया नहीं जाता वह निरंतर अभ्यास करने से स्वतः ही लग जाता है ध्यान किसी भी विषय पर किया जा सकता है किसी वस्तु, कोई विशेष चित्र, माता पिता, ईश्वर का मन में चित्र, उगता हुआ सूरज या फिर श्वास पर लगाया जा सकता है।
ध्यान के माध्यम से स्वयं का स्वयं से साक्षात्कार करना है, अध्यात्म की ओर बड़ना है, भक्तिकाल में बहुत सारे संत ध्यान के माध्यम से उदित हुए और समाज में स्थापित हुए।
अगर एक बार ध्यान लग जाए तो पता नहीं चलता कि कब सुबह हुई और कब सांझ किंतु यह अभ्यास से ही संभव है और आगे चलकर समाधि में परिणीत हो जाता है, विद्यासागर जी महाराज इसके तात्कालिक उधारण हैं।
अब जो नरेंद्र मोदी कर रहे हैं,, क्या वह ध्यान है....
जवाब है.. बिलकुल नहीं..! स्पष्ट रूप से कहें तो पाखंड है गाजे बाजे के साथ हंका पीटना है चोचला करना है..!
नरेंद्र मोदी कई मुद्राओं में बैठे हैं कभी हाथ जोड़कर,, कभी ज्ञान मुद्रा में कभी चौखट पर कभी दरी पर कभी, अगरबत्तियों के सामने कभी विवेकानंद जी के सामने कभी ॐ के सामने कभी अंदर, कभी बाहर, कभी दरवाजे के पास! नरेंद्र मोदी को खुद पता नहीं ध्यान कैसे करते हैं.. करते भी हैं या हो जाता है..! उन्हें कुछ पता नहीं।
अगर मैं किसी आसान ध्यानात्मक आसान में बैठकर कोई फोटो डालूं और कैप्शन दूं की ध्यान करते हुए तो वो क्या ध्यान हो सकता है... नहीं बिल्कुल नहीं।
वैसे ही नरेंद्र मोदी दिखावा कर रहे हैं और यह ना सिर्फ दिखावा है बल्कि स्पष्ट रूप से पाखंड है, चोचले बाजी है, बेशर्मी है।
मोदी जी की अलग अलग एंगल से फोटो देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा जैसे कोई फिल्म की शूटिंग हो रही हो। फोटो खिंचवाकर कौन सा ध्यान किया जा रहा है...?
प्रधानमंत्री होते हुए नरेंद्र मोदी ने हमेशा पाखंड को बढ़ावा दिया है लोगों के अंदर से वैज्ञानिक दृष्टिकोण सोच को खत्म किया लोग पाखंड और अंधविश्वास की ओर अग्रसर हुए हैं।
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