यौगिक शुद्धि क्रियाओं के माध्यम से कोरोना से बचाव, एवं मुख्य शुद्धि क्रियाओं की संख्या।

       कोरोनावायरस भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के सामने कई चुनौतियां लिए खड़ी है।
 यह बीमारी तेजी से दुनिया भर में फैली और लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया यह बीमारी पूरी तरह से नई है और संक्रामक भी है जिस बारिश के कारण यह बीमारी फैलती है वह वायरस भी नवीन है जिस कारण इस बार इस पर अध्ययन वर्तमान में शुरुआती चरणों में चल रहा है हालांकि दुनिया भर के देशों ने वैक्सीन बना ली है लेकिन वैक्सीन उतनी प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही जिसके चलते आज फिर से तीसरी लहर आ सकती है।
पहली और दूसरी लहर दुनिया भर में तबाही मचा चुकी है। चीन में अब तीसरी लहर का अंदेशा लगाया जा रहा।
 यह वायरस अपने स्वरूप को बदल सकता है और पुनः शक्तिशाली बन कर लोगों को संक्रमित करना शुरू कर देता है, अबकी बार डिफरेंट वेरिएंट जिसका नाम bf.7 है यह पहले के वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक और गंभीर बीमार करता है। इस बीमारी की अब तक कई वैक्सीन बन चुकी हैं और इसका उचित इलाज भी मिल सका है किंतु यह पर्याप्त नहीं है सिर्फ वैकल्पिक उपचार एवं बचाव ही महत्वपूर्ण उपचार हैं हालांकि वैक्सीन का निर्माण हो चुका है किंतु वैक्सीन लगने के बाद भी कई लोगों कोरोना हुआ है।


 भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है जिसमें पूर्ण टीकाकरण होने में 1 से 3 वर्ष का समय लग सकता है ऐसे में कोरोना से बचाव सबसे महत्वपूर्ण है ।

         यौगिक शुद्धि द्धि क्रियाओं के माध्यम से हम कोरोना वायरस से बचाव कर सकते हैं, यदि हम देखें की शुद्धि क्रियाओं के माध्यम से कोरोना से बचना कैसे संभव हो तो यह बात सर्वप्रथम हमारे मुंह में एवं नाक के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है और यह गले और फेफड़ों तक पहुंचता है किंतु शुद्धि क्रियाओं के माध्यम से हम नाक मुंह गले की सफाई करते हैं और श्लेष्मा को बाहर निकाल देते हैं वायरस की खासियत यह है कि वायरस श्लेष्मा में शुरुआती दौर में कुछ समय रुकता है और हम शुद्धि क्रियाओं के माध्यम से श्लेष्मा (कफ) आदि बाहर निकालते हैं जिससे यह संभावना पूरी तरह से बनती है, की हम वायरस को भी इन क्रियाओं के माध्यम से श्लेष्मा के साथ के बाहर निकाल सकते हैं और अपने आप को इस बार से संक्रमित होने से बचा सकते हैं और वर्तमान में कोरोना वायरस बचाव ही एक बेहतर इलाज है।
               कोरोना बीमारी वर्तमान में वैश्विक महामारी है इस बीमारी को 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक महामारी घोषित कर दिया कर दिया था क्योंकि इस बीमारी से विश्व के तमाम देश प्रभावित हैं अगर बात की जाए कोरोनावायरस के नाम की तो इसका नाम सारस सीओवी -2 है यह वायरस एचसीओवी- 229 ई. परिवार का वायरस है जो इंसान और चमगादड़ को संक्रमित करता है।
      इस वायरस के संक्रमण का पहला मामला दिसंबर 2019 चीन में सामने आया था पहला मामला सामने आने के बाद मामले लगातार बढ़ते हुए और यह वायरस एक देश से विश्व के सभी देशों में फैल गया और यह बहुत ही तीव्र गति से फैला क्योंकि यह एक संक्रामक रोग है और एक दूसरे के संपर्क में आने से यह फैलता है।
    अगर विश्व भर में कुल मामलों की बात करें तो दिनांक 26/ 12/ 2022 तक 661,913,292 केस सामने आ चुके थे और 6,686,635 लोगों की कोरना महामारी के कारण मौत हो चुकी थी।
यह बीमारी संक्रामक है और एक दूसरों के संपर्क में आने से फैलती है अगर किसी संगठन व्यक्ति के संपर्क में कोई सामान्य व्यक्ति आता है तो वायु के कणों में या फिर सीखते खाते वक्त हमारे अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है और उस व्यक्ति को संक्रमित कर देता है।
यह वायरस नाक व मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और श्लेष्मा में कुछ समय रुकता है इस दौरान वह अपने आप को शरीर अन्य अंगों जैसे गले और फेफड़ों में श्लेष्मा के माध्यम से ही पहुंचता है एवं वहां की कोशिकाओं को भ्रमित कर अपनी जैसी कॉपियां या वायरस बनाना शुरू कर देता है, इसके बाद यह शरीर की कोशिकाओं या गले की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है फिर यह वायरस धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरु करता है और सांस की नली और फेफड़ों पर अपना हमला करता है और सबसे ज्यादा यहीं पर अपने जैसी वायरस की संख्या बढ़ाता है और यह नया वायरस बाकी की कोशिकाओं पर हमला करता और वहां की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं यह वायरस स्वसन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है और स्वसन तंत्र की कोशिकाएं सूजी जाती हैं और अपना काम सही से नहीं कर पाती कर यह वायरस जहां वायु का आदान-प्रदान होता है वहां तक पहुंच जाता है तो वायु का आदान प्रदान सही से नहीं हो पाता और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है फेफड़े अत्यधिक मात्रा में कफ निकालना शुरू कर देते हैं जिसके कारण खांसी आनाा शुरू होने लगती हैं फेफड़ों में सूजन से फेफड़ों को ऑक्सीजन एवं शुद्ध रक्त नहीं मिल पाता जिसके कारण शरीर में निमोनिया हो जाता है एवं शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है ऐसी स्थिति में यह वायरस अपने आप को और मजबूत करता है और हृदय किडनी प्लीहा आदि पर हमला करता है शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र सक्रिय होता है और उसे अत्यधिक काम करना पड़ता है ऐसे मे ऑक्सीजन की भी जरूरत होती है अगर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य नहीं होता है तो रोग प्रतिरोधक तंत्र अपना काम सुचारू रूप से नहीं करता और रोगी की मृत्यु हो जाती है इसके अतिरिक्त कोरोना वायरस के कई अन्य लक्षण होते हैं जिसके माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं।
बुखार, सूखी खांसी, थकान, खुजली, दर्द, गले में खराश, दस्त, आंख आना, सर दर्द, स्वाद, एवं गंध का पता ना चलना, त्वचा पर चकत्ते आना, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, बोलने, और चलने फिरने में दिक्कत, यह सभी कोरोना बीमारी के लक्षण हैं जिनके दिखने पर रोगी को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए संक्रमण के पश्चात यह वायरस लगभग 5 से 6 दिन में लक्षण दिखाने लगता है कभी-कभी 14 दिन तक लग जाते हैं।
     यह वायरस व्यापक तौर पर फैलता है और बहुत जल्दी ही लोगों को संक्रमित करना शुरू कर देता है इस वायरस से बचने के कई अन्य सामान्य उपाय भी है –
1. अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर से हाथों को सेट करना।
2. शारीरिक दूरी बनाए रखना।
3. बार-बार हाथों को साबुन से धोना।
4. डबल लेयर या n95 मास्क लगाना।
5. अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलना।
6. आंख मुंह नाक आदि को अनावश्यक रूप से ना छूना।
( 1. Source of corona cause -.https://www.worldometers.info/coronavirus/
2. Source of corona effect & timing -https://m.economictimes.com/hindi/news/covid-19-how-patients-recover-from-disease/next-step-of-covid19/slideshow/75197358.cms)
‌योगिक शुद्धि क्रियाओं के द्वारा कोरोना का प्रबन्धन –


योग एक बहुत ही प्राचीन और अद्भुत विधा है जिसके माध्यम से शरीर मन एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति की जा सकती है योग से हमें एक मजबूत रोग प्रतिरोधक तंत्र प्राप्त होता है जो कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है योग का एक अंग षटकर्म यानी शुद्धि क्रिया है जो ना कि हमारे शरीर की स्वच्छता करता है बल्कि शरीर को विभिन्न बीमारियों से मुक्त करके कई और बीमारियों से भी रक्षा करता है।
       हठयोग के प्रमाणित दो ग्रंथ हठ प्रदीपिका एवं घेरंड संहिता में षटकर्म नाम से शुद्ध क्रियाओं का वर्णन किया गया है यह शोधन क्रियाएं हमारे शरीर को निर्मल यानी स्वच्छ करती हैं ये क्रियाएं हमारे शरीर को कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी से बचाने में भी सक्षम है।
यह शुद्धि क्रियायें इस प्रकार से हैं –
हठप्रदिपिका –
धौतिर्बस्तिस्तथा नेतिस्त्राटकं नौलिकं तथा।
कपालभातिश्चैतानि षट्कर्माणि प्रचक्षते।। (हठयोग प्रदीपिका-2/22)
अर्थात – धौती, बस्ती, नेती, त्राटक, नौली, कपालभाति, 6 षटकर्म या शुद्धि क्रियायें है
घेरण्ड संहिता –
धौतिर्वस्तिस्तथा नेतिर्लौलिकी त्राटकं तथा कपालभातिश्चैतानि षट्कर्माणि समाचरेत् ।। ( घे०स 1/12 )
अर्थात-
धौती,बस्ती, नेति, लौलिकी, (नौली), त्राटक, एवं कपालभाति, ये छह प्रकार की क्रियाएँ हैं जिन्हें षट्कर्म कहा जाता है।
    के इसके अतिरिक्त अन्य ग्रंथों में भी शुद्ध क्रियाओं का वर्णन है किंतु इन ग्रंथों की क्रियाएं मुख्य मानी जाती हैं इन सभी क्रियाओं में से कुछ मुख्य क्रियाएं हैं जिनके माध्यम से कोरोना का प्रबंधन किया जा सकता है,
अब हम शुद्ध क्रियाओं के माध्यम से कोरना का प्रबंधन समझते हैं।
1. धौती –
कोरोनावायरस के नियंत्रण में धोती बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी साबित फूटी है यह मुख्य तीन प्रकार की बताई गई है
1. दंड धौती
2. वमन धौती
3. वस्त्र धोती
यह तीनों ही धौतियां कोरोना के प्रबंधन में बहुत ही लाभदायक थे जिनमें वस्त्र धोती मुख्य है।
 वस्त्र धोती –
यह धौती चार अंगुल चौड़ी कपड़े की पट्टी होती है जिसकी लंबाई 22 से 25 फीट तक होती है मुख्य तौर पर यह कपड़े की पट्टी सूती वस्त्र की होती है धौती को गुनगुने पानी में भिगोकर शनैः शनै: निगलना चाहिए यह क्रिया कोरोना के प्रबंधन और रोकथाम में बहुत ही लाभदायक है क्योंकि इस क्रिया के करने से हमारे मुंह एवं गले मैं उपस्थित सभी श्लेष्मा या पित्त बाहर निकल जाता है और कोरोना वायरस कुछ दिन श्लेष्मा में रुकता है जब धौती को हम जब बाहर निकालते हैं तो अनावश्यक रूप से मुंह एवं गले एवं आमा से उपस्थित सभी श्लेष्मा बाहर निकल जाता है जबकि कोरोनावायरस कुछ दिन श्लेष्मा मैं रुकता है एवं उसका पहला हमला गले का कंठ के आस पास होता है जब धौती को हम आमाशय से बाहर निकालते हैं तो अनावश्यक रूप में पड़ा सभी कफ बाहर निकल जाता है यदि वायरस इसी कफ में है तो वह भी बाहर आ जाता है इस क्रिया से वात, कफ, पित्त यह सभी दोस्त नष्ट हो जाते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती और यह क्षमता कोरोना वायरस से लड़ने में सहायक है होती है। ( घेरण्ड संहिता – अध्याय प्रथम श्लोक 40,41)
नेति क्रिया –
यह क्रिया कोरोना के प्रबंधन और बचाव में बहुत ही लाभदायक व सहायक है इस क्रिया को करने के लिए हमें आधे हाथ का डोरा शूती का सूती का चाहिए होता है जिसे सूत्र नेती कहते हैं इस सूत्र को को नासिका से डालते हैं एवं मुंह से निकालते हैं एवं 8 से 10 बार रफ करने के बाद मुंह से से बाहर निकाल लेते हैं इस क्रिया को करने से नासिका के मार्ग की सफाई होती है और कफ दोष नष्ट होते हैं यदि कोविड-19 वायरस नासिक में प्रवेश कर गया है तो वह इस क्रिया के साथ बाहर निकल जाता है और हम कोरोना संक्रमित होने से बच जाते हैं वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह क्रिया में 1 दिन छोड़कर करनी चाहिए। (घेरण्डसंहिता – अध्याय प्रथम श्लोक -50,51)
व्युतक्रम कपालभाति –
यह क्रिया कपालभाति के अंतर्गत आती है यह क्रिया भी कोरोना के बचाव में सहायक है और निश्चित तौर पर प्रभाव कारी है इस क्रिया को करने के लिए नमकयुक्त गुनगुने पानी को तैयार कर अपने दोनों नथुनों से पानी को खींचकर मुंह से निकाल देना होता है इस प्रक्रिया को कई बार करना चाहिए यह क्रिया व्युतक्रम कपालभाति है। इसके करने से नासिका से लेकर गले तक की संपूर्ण की सफाई होती है और कफ निकल जाता है यदि कफ संबंधी कोई भी दोष हो तो वह ठीक हो जाता है कोरोना बीमारी भी कफ संबंधी दोष है।
यह क्रिया को रोना के प्रबंधन में सहायक है। (घेरण्ड संहिता – अध्याय प्रथम श्लोक 58)
शीतक्रम कपालभाति –
यह क्रिया कोरोना के प्रबंधन में बहुत ही लाभदायक है यह क्रिया कोरोना से बचाव में निश्चित तौर पर अहम भूमिका निभाती है
  इस क्रिया को करने के लिए गुनगुने नमकीन युक्त पानी को गिलास आदि में लेकर मुख् में उस पानी को भरकर नासिक मार्ग से उस पानी को बाहर निकाल देते हैं इस प्रक्रिया को कई बार और दोहराते हैं इस पूरी प्रक्रिया को शीतक्रम कपालभाती कहते हैं। यह क्रिया कोविड-19 के प्रबंधन एवं बचाव में बहुत ही रामबाण औषधि की तरह कार्य करती है इस शुद्धि क्रिया के करने से संपूर्ण गला, नासिका मार्ग, एवं संपूर्ण नासिका मार्ग की अच्छे से सफाई होती है इससे नासिका मार्ग का संपूर्ण कफ या श्लेष्मा बाहर निकल जाता है और कफ संबंधी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं शरीर को सुंदरता व मजबूती मिलती है। (घेरण्ड संहिता – अध्याय प्रथम श्लोक 60)
 कपालभाती क्रिया –
कपालभाति क्रिया का वर्णन करते हुए स्वामी स्वात्मा राम जी ने हठप्रदीपिका में लिखा है कि जब लोहार की धोकनी की तरह सांस को तीव्र गति से छोड़ना और सांस का स्वता ही लिया जाना होता है तो यह क्रिया कपालभाति कहलाती है इस क्रिया को करने समय हमें श्वास को छोड़ने पर ध्यान देना चाहिए श्वास लेने पर नहीं सांस स्वत: ही अंदर जाती है। इस शुद्धि क्रिया को करने से कफ संबंधी विकार नष्ट हो जाते हैं क्योंकि कोविड-19 श्लेष्मा संबंधी बीमारी है इसलिए यह क्रिया निश्चित तौर पर लाभकारी है साथ ही इस क्रिया को करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ता है यदि किसी व्यक्ति को कोरोना होता है और शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है तो यह क्रिया बहुत लाभदायक होगी और कोरोना का आसानी से प्रबंधन किया जा सकेगा। - हठ प्रदिपिका ( अध्याय 2 श्लोक संख्या – 30)
 नौली –
नौली क्रिया पेट के अंगों से संबंध रखती है इस क्रिया को करने के लिए श्वास को बाहर छोड़ते हुए एवं थोड़ा सा आगे की ओर झुकते हुए अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखना होता है एवं पेट को संकुचित करना चाहिए एवं पेट के बीच वाले हिस्से को ढीला छोड़ना चाहिए जिससे वह नली का आकार ले लेगी इसे ही नौली कहते हैं,
अब बाएं हाथ से घुटने पर रखा वजन हटाना चाहिए जिससे नौली दाएं तरफ चली जाएगी यही क्रिया दाएं हाथ से भी करनी चाहिए जिससे कि नौली बाई तरफ आ जाए अब इस प्रक्रिया को जल्दी जल्दी करनी चाहिए जिससे नौली भ्रमर करने लगेगी यह पूरी की प्रक्रिया नौली कहलाती है।
नौली क्रिया के करने से पेट के सभी अंग जैसे हृदय, यकृत, प्लीहा, आंतें इन सभी की मालिश होती है और उन्हें मजबूती मिलती है कोविड-19 वायरस श्वसन संस्थान के अतिरिक्त ह्रदय यकृत आदि अंगों पर भी हमला करता है और इन अंगों को नुकसान पहुंचाता है किंतु यदि हम नौली क्रिया को करते हैं तो इन अंगों को कम नुकसान होने की गुंजाइश रहती है और कोरोना जैसी बीमारी में यह के लिए लाभकारी है। (घेरण्ड संहिता – अध्याय प्रथम श्लोक 52)
सारांश –
कोरोना वायरस बहुत ही घातक रोग है इससे बीमार होकर लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हुए हैं और कई लोगों को उचित समय पर इलाज न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हुई है लेकिन जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत थी उनको ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, इस बीमारी की एक और महत्वपूर्ण बात यह रही कि जिनको यह बीमारी हुई उनके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो गई लेकिन जो व्यक्ति नियमित रूप से योग व्यायाम को करते रहे या प्रकृति के बीच रहे उनके शरीर का आक्सीजन लेबल नीचे नहीं पहुंचा और उन्हें इस बीमारी से उबरने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
    यदि हम शुद्धि क्रियाओं की बात करें तो इन क्रियाओं के करने से शरीर में प्राण ऊर्जा बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है साथ ही अंगों को मजबूती मिलती है हालांकि योगिक शुद्धि क्रियाएं यह गारंटी बिल्कुल नहीं देती कि इनके करने से कोरोना जैसी बीमारियां नहीं होगी हां लेकिन इन क्रियाओं के नियमित अभ्यास से रोग से बचाव और यदि रोग हो भी जाए तो उससे उबरने में सहायक अवश्य हैं। शुद्धि क्रियाएं कोरोना के बचाव एवं नियंत्रण में सहायक है इसमें कोई दो राय नहीं है आचार्यों का यहां तक मानना है कि क्रियाएं शरीर को मजबूत प्रतिरोध तंत्र देती हैं जिसके कारण कोरोना जैसी बीमारियां उन्हें होने पर भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाती है।
यदि हम शुद्धि क्रियायों की बात करें तो यह ना सिर्फ़ शारीरिक रूप से बल्कि यह मानसिक रूप से भी लाभकारी है क्रियाओं के अभ्यास से मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वह मजबूत बनता है इस बीमारी में अक्सर यह देखा गया है कि कई लोग जिनको यह बीमारी हुई और वे मानसिक रूप से कमजोर नहीं थे उनको बीमारी ने ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाया, जितना कि मानसिक रूप से दुर्बलता लोगों को इस बीमारी ने नुकसान पहुंचाया यहां तक कि कई लोगों की मृत्यु तक हो गई ऐसा ही एक केश तेलंगाना के मेदक में 30 अप्रैल 2021 को आया जिसमें अपने आपको कोरोना पॉजिटिव होने की खबर सुनते ही 30 वर्षीय महिला की मृत्यु हो गई यह दर्शाता है कि शरीर के साथ-साथ मानसिक रूप से भी मजबूत होना आवश्यक है तभी हम कोरोना जैसी बीमारिब से खुद को बचाया जा सकता है। शुद्धि क्रिया शरीर को शुध्द करती ही हैं साथ ही मन को भी मज़बूत बनाती हैं उसे तनाव से मुक्त करती हैं जो कोरोना महामारी से बचाव और लड़ने में सहायक है।
(Note – इन सभी शुद्धि क्रियायों को किसी योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए
(संदर्भ ग्रंथ सूची -)
1. https://m.economictimes.com/hindi/news/covid-19-how-patients-recover-from-disease/next-step-of-covid19/slideshow/75197358.cms
2.https://www.worldometers.info/coronavirus/
3.घेरंड संहिता – भाष्यकार ब्रह्मलीन राष्ट्र गुरू श्री २००८ श्री स्वामीजी महाराज श्री पीताम्बर पीठ दतिया मध्य प्रदेश।
4. हठ योग प्रदिपिका – स्वत्माराम सूरी।)