वैसे तो भारत में अनेक महापुरुष हुए हैं जिन्होंने इस देश के हित के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया उन्होंने देश को ही अपनी आत्मा समझा।
 देश में फैला रूढ़िवाद अंधविश्वास, मानव मानव में भेद का पुरजोर विरोध किया हालांकि यह बात अलग है कि भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश में कभी बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन हेतु आंदोलन नहीं हुआ उसका परिणाम हमारे सामने है।
 आज अपने आप को कुछ लोग श्रेष्ठ समझते हैं कारण मुंह, भुजाओं से पैदा होना है। लेकिन यह अहं विदेशी आक्रमणकारियों ने खूब तोड़ा, बार-बार तोड़ा ताजा उदाहरण तो हमारे सामने ही है जब अफगानिस्तान के पठानों को जान बचा बचा कर भाग भागना पड़ रहा था.. तालिबान के कारण ये वही पठान है जिनकी बहादुरी के किस्से बड़े शौक से पढ़े और सुने जाते थे।
 ऐसे ही कुछ महापुरुषों और नायकों के किस्से भारत में खूब प्रचलित है उन्हें आजादी का पुरुष, क्रांतिकारी, वीर, महापुरुष जैसी संज्ञायों से संबोधित किया जाता है। हालांकि मुझे इन सब से कोई विरोध नहीं है किंतु जितना महान उन्हें बताया गया है दरअसल वह कुछ ज्यादा है ऐसे ही एक महापुरुष हैं बाल गंगाधर तिलक ब्राह्मण हैं,, अच्छी बात है ब्राह्मण है,,।    
      सदियों से चली आ रही सामाजिक व्यवस्था को जब ब्रिटिश बदलने जा रहे थे। इससे देश के एक बहुत बड़े वर्ग को अधिकार और सम्मान की जिंदगी देने के लिए कानून बना रहे थे तो हमारे महान पुरुष लोकमान्य जी उसका विरोध कर रहे थे और कह रहे थे कि विदेशियों को हमारे समाज सुधार के लिए कानून बनाने का हक नहीं है यह हक तो सिर्फ इस देश के लोगों को है... ब्राह्मणों को है क्योंकि यह अधिकार उन्हें वेदों ने दिया है चाहे वह कैसा भी कानून बनाएं उनके द्वारा बनाए कानून मैं मनुष्य यानी कि दलितों को पशुओं की संज्ञा दी जाए कैसा भी व्यव्हार किया जाए वह स्वीकार रहेगा।
 किंतु अंग्रेज द्वारा बनाए गए सामाजिक सुधार के कानून उन्हें स्वीकार नहीं है। 

अगर इस बात से देश का एक बहुत बड़ा वर्ग यहां तक कि महात्मा ज्योतिबा फुले जी भी सहमत थे कि अगर अंग्रेज इस देश में कुछ बरस और रुक जाते तो इस देश की सामाजिक व्यवस्था हमेशा को बदल जाती। लेकिन ब्रिटिशों की राह आसान नहीं थी बालगंगाधर तिलक, मोहन दास करम चंद गांधी जैसे अनेक महापुरुष उनकी राह में बाधा थे।
 ऐसे महापुरूष पहले भी पैदा हुए उन महापुरुषों ने कभी अफगानों, मुगलों, तुर्कों आदि का विरोध कभी नहीं किया क्यों नहीं किया यह सोचने वाली बात है ???